Wednesday, March 25, 2009
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ख़ुशी / अमरजीत कौंके तुम खुश होती हो मेरा गरूर टूटता देख कर मुझे हारता हुआ देख तुम्हें अत्यंत ख़ुशी होती है मैं खुश होता हूँ तुम्हें खुश देख...
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माँ बहुत चाव से गमले में उगाती है मनीप्लांट बच्चा घिसटता जाता है तोड़ डालता है पत्ते उखाड़ फेंकता है छोटा सा पौधा माँ फिर मिटटी में बोती है म...
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प्यार करते करते अचानक वह रूठ जाती सीने मेरे पर सर पटक के बोलती-- फिर आये हो वैसे के वैसे मेरे लिए नयी कवितायेँ क्यों नहीं लेकर आये मैं कहता-...