DR. AMARJEET KAUNKE
Friday, November 5, 2010
ख़ुशी / अमरजीत कौंके
ख़ुशी / अमरजीत कौंके
तुम खुश होती हो
मेरा गरूर टूटता देख कर
मुझे हारता हुआ देख
तुम्हें अत्यंत ख़ुशी होती है
मैं खुश होता हूँ
तुम्हें खुश देख कर
तुम्हें जीतता
देखने की ख़ुशी में
मैं
हर बार
हार जाता हूँ........
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प्रतिमान : जनवरी- मार्च 2020, संपादक : डा अमरजीत कौंके
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