DR. AMARJEET KAUNKE
Tuesday, April 14, 2020
प्रतिमान : जनवरी- मार्च 2020, संपादक : डा अमरजीत कौंके
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प्रतिमान : जनवरी- मार्च 2020, संपादक : डा अमरजीत कौंके
मुठ्ठी भर रौशनी / अमरजीत कौंके
सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
अचानक/ अमरजीत कौंके
एक तितली उड़ती उड़ती आई और आ कर एक पत्थर पर बैठ गई पत्थर अचानक खिल उठा और फूल बन गया......... 098142 31698
एक रात / अमरजीत कौंके
एक रात मैं निकला खाबों की ताबीर के लिए तो मैंने देखा कि शहर के हर मोड़ हर चौराहे पर बेठे हैं कुत्ते मोटे मोटे झबरे कुत्ते मैं बहुत डरा और बह...