-
सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
-
एक रात मैं निकला खाबों की ताबीर के लिए तो मैंने देखा कि शहर के हर मोड़ हर चौराहे पर बेठे हैं कुत्ते मोटे मोटे झबरे कुत्ते मैं बहुत डरा और बह...
-
माँ बहुत चाव से गमले में उगाती है मनीप्लांट बच्चा घिसटता जाता है तोड़ डालता है पत्ते उखाड़ फेंकता है छोटा सा पौधा माँ फिर मिटटी में बोती है म...