Wednesday, September 16, 2009
राज़ / अमरजीत कौंके
वह हंसती तो
मोतिओं वाले घर का
दरवाज़ा खुलता
और खिलखिलाने लगती कायनात
मैं हैरान हो कर पूछता उस से
कि इस हंसी का राज़ किया है.....?
उसके चेहरे पर
पृथ्वी का संयम था
उसके माथे पर
आकाश की विशालता
सूर्य का तेज़ था
उसकी आँखों में
अपने वालों को
वो इन्द्र्ध्नुशय से यूँ बांधती
कि कायनात खिल उठती
समुंदर की तरह गहरी
उसकी आँखों में
कहीं कोई किश्ती
नहीं थी ठहरती.....
उम्र की सीढ़ी पर
मुझसे कितने ही डंडे
ऊपर खड़ी
वह औरत
संयोग के पलों में
मुझ से कितने ही वर्ष
छोटी बन जाती........
और मैं
हैरान हो कर पूछता उस से
कि इस ताजगी का
राज़ किया है..........??????
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14 comments:
मै सिर्फ यही कह पाउंगा कि .......कमाल है .....कमाल है ........कमाल है........यह रचना का जादू है जो मै कहे जा रहा हूँ.......बस मै नतमस्तक हूँ .........आपके सोच के विशालता के आगे .......और आपके लेखनी के आगे........
kavita main aaj kuch naye tewar, naya andaaz hai taazagee bhera, khaylon ne kerwet badlee hai
or mai oumji se puri tarah sahamat hu lajbaab
Mugdh...stabdh karne walee rachna!
http://shamasansmaran.blogspot.com
mantrmugdh kar diya..............shabdon ka jadoo bikhra pada hai p[oori kavita mein.
plz read my new blog also.
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
mein aapki kavita ko ek jeeti jaagti kavita kahoongi jisme aap ne shabdon se anokhi sunderta byan ki hai .
mein aapki kavita ko ek jeeti jaagti kavita kahoongi jisme aap ne shabdon se anokhi sunderta byan ki hai .
aap ke blog pe apki nayee poem padi....itni khubsurat lagi k us me mai khud ko dhundhne nikal padi....ye kisi bhi rachna ke liye badi bat hoti hai jab paathak kisi rachna k saath khud ko juda mahsus karta hai...itni pyari abhivyakti k liye congrates........tripta
अमरजीत भाई यह एक खूबसूरत प्रेम कविता है और आपका सौन्दर्यबोध तो लाजवाब है ।
वाह वाह क्या बात है! इतना ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
खूबसूरत अभिव्यक्ति और कमाल का भाव
इस ताज़गी का राज़ तो आपने ही बता दिया है
पृथ्वी सा संयम ----
रचना में भावः सौन्दर्य और शब्द बोध लाजबाब है बधाई |ब्लॉग में आकर होसला अफजाई करने के लिए शुक्रिया |
भारतीय सौन्दर्य बोध की सुंदर अभिव्यक्ति !
यूँ ही लिखते रहें !!!!!!!!!
WAH ...BAHUT SUNDER RACHANA
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