Wednesday, November 25, 2009
समुन्द्र से कहना / अमरजीत कौंके
समुन्द्र से कहना
चंद्रमा से कहना
बादलों से
और हवा से कह देना
कि आज कल मैं
बहुत उदास रहता हूँ........
शहर में जब
झुटपुटा सा अँधेरा छाने लगता है
तो मेरे भीतर
भीपत्सी शोर गूंजता है
बहुत बुरे बुरे ख्याल आते हैं
और सोच के आकाश पर
गिद्धों की तरह मंडराते हैं.....
कहना
कि मैंने रात के सीने पर
बहुत सारे ख़त लिखे हैं
जिनके विषय में
कभी कोई कुछ नहीं जान पायेगा
मेरे कमरे की
जागती दीवारों के सिवाय
टूटती नींद
डरावने स्वप्न
घटती बढ़ती दिल की धड़कन
दूर घर की याद
मेरी रातों में
टुटके बिखरे पल हैं ......
कहना
कि मैं शांत नींद चाहता हूँ
जो मुझे मुद्दत से नहीं आई
मेरी रातें डरावने सपनो में बँट गई हैं
और दिनों का रेत सड़कों पर बिखर गया है
रात और दिन पता नहीं
किस निगोड़ी नज़र का
शिकार हो गए हैं......
समुन्द्र से कहना
चंद्रमा से कहना
बादलों और हवा से कहना
कि कभी मेरे कमरे में आयें
आज कल मैं
बहुत उदास रहता हूँ.........
098142 31698
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
-
एक रात मैं निकला खाबों की ताबीर के लिए तो मैंने देखा कि शहर के हर मोड़ हर चौराहे पर बेठे हैं कुत्ते मोटे मोटे झबरे कुत्ते मैं बहुत डरा और बह...
-
जितनी देर दोस्त थे कितनी सहज थी जिन्दगी ना तुम औरत थी ना मै मर्द एक दुसरे का दर्द समझने की कोशिश करते..... अचानक पता नहीं क्या हादिसा हुआ ज...
9 comments:
ohh...........bahut hi gahri udasi hai..........sagar se bhi gahri...........bahut kuch kah gayi.
pls read-----http://redrose-vandana.blogspot.com
बहुत सुन्दर. भाव मुखर हो रहे हैं..
अमरजीत जी ,
कविता पढ़ी . घुटन , डर , सपने ,बुरे ख़याल ,उदासी , घर की याद , जो आपको बेचैन करती है .इस सब को आपने बड़ी खूबसूरती से उकेरा है .जैसे की सारी उदासी धुँए सी फैल रही है चौतरफ .पाठक उसे महसूस करता है .क्योंकि वह धुँआ उस तक आ रहा है .उसके भीतर उतरता है , धीरे धीरे .
आजकल मै उदास रहता हूँ !
वियोगी होगा पहला कवि ,
आह से उपजा होगा गान!
करुण रस की मार्मिक अभिव्यक्ति !
कुछ शब्दों पर पकड बनाये रखिये !
अमरजीत जी,
सबसे अच्छी कविता वह होती है जो दिल से निकलती है और आप दिल से लिखते हैं. आपके मन का सच्चापन आपकी कविताओं में झलकता है. यूँ ही लिखते रहिये.
बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! बधाई!
itni uthal puthal rahegi zehaan mein
toh neend kaise aayegi
bahut ghahre jazbaaton se ru ba ru karaya hai
bahut hi dil ke bheeter tak dastak deti rachna .
very meaningful and full of emotions...ek aisi rachna jo dil ko chhoo jaye...
Post a Comment