कुछ नहीं होगा / अमरजीत कौंके
सब कुछ होगा तुम्हारे पास
एक मेरे पास होने के अहसास के बिना
सब कुछ होगा मेरे पास
तुम्हारी मोहब्बत भरी
इक नज़र के सिवा
ढँक लेंगे हम
पदार्थ से खुद को
इक सिरे से दुसरे सिरे तक
लेकिन कभी
महसूस कर के देखना
कि सब कुछ होने के बावजूद
कुछ नहीं होगा हमारे पास
उन पवित्र दिनों की मोहब्बत जैसा
जब मेरे पास कुछ नहीं था
जब तुम्हारे पास कुछ नहीं था.......
9 comments:
Very true Amarjit ! Good poetry !
jab rishta chhut jata hai ..tab uska ahsas najar aata hai...bahut sundar
pvitrta apne aap me hi ek sukhad anubhooti hai our jb uska sprsh prem ki bhavna se ho tb vh apne utkrsh pr hoti hai
is smpoornta ko shbdbdh krke ek umda kvita se ru b ru krane ke liye our blog pr aane ke liye bhut bhut shukriya
bahut sunder aabhivykti ,......... amarjeet ji
जब मेरे पास कुछ नहीं था
जब तुम्हारे पास कुछ नहीं था.......
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शब्द नहीं हैं मेरे पास ....
ऐसे भी कम बोलती हूँ आपको पता है .....:))
आज आपकी कुछ बेहतरीन क्षणिकायें मांगने आई हूँ ....
एक पत्रिका की अतिथि संपादिका हूँ
जो क्षणिका विशेषांक होगा ....
बहुत दिनों से आपका ख्याल आ रहा था
की जाकर माँगू ...न. तो गुम गया आपका वरना स म स कर देती ...
इन्तजार रहेगा .....(संक्षिप्त परिचय व तस्वीर के साथ भेजिएगा )
पत्रिका के लिए आभार ....
milti rahti है ....
शुक्रिया .....
just mind blowing!!!!
mind blowing!!!
wah kiya baat hai!!!
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