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सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
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जितनी देर दोस्त थे कितनी सहज थी जिन्दगी ना तुम औरत थी ना मै मर्द एक दुसरे का दर्द समझने की कोशिश करते..... अचानक पता नहीं क्या हादिसा हुआ ज...
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तमन्ना थी उसकी कि इक नेम प्लेट हो अपनी जिस पर लिखे हों हम दोनों के नाम मैंने कहा- नेम प्लेट के लिए एक दीवार चाहिए दीवार के लिए घर घर के लिए ...
12 comments:
waah..........kya khoob likha hai.
amarjeet....again amazing......
bahut khub jeet ji. pyar ki baarish main nahaye darkht ki sunderta imagine ker rehi hoon,
काश !
तुम्हे कभी
किसी बृक्ष की भांति
बारिश में भीगने की
कला आ जाये .........
बादल जब छायेंगे तो मुझे भिंगना भी आ जायेगा,
ख्वाहिशे इतनी खुबसूरत क्यो होती है .........बहुत ही खुब!
जब पानी लगातार पत्थर पर गिरता है तो उसके खुरदुरे किनारे टूट ही जाते हैं ....और फिर ये तो प्यार है ...
अति सुन्दर लिखा अमरजीत जी ....
bahut sankhep shabdon me bahut gahre arth bhare hai....
ਬਹੁਤ ਖੂਬਸੂਰਤ ਹੈ !!! ਇਸ ਨੂੰ ਮੈ ਵਾਰ ਵਾਰ ਪੜ੍ਹਦਾ ਰਹਾਂਗਾ
Sir es kavita lae her ek de muh vicho wah wah he nikle ge,sabaad a gea sir pad ke
Wah....Behtareen Bhavabhivyakti.....
बहुत ख़ूबसूरत रचना! प्यार को आपने शब्दों में बहुत ही सुंदर रूप से पिरोया है!
मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
WONDER AMARJEET WONDER
जैसे किसी पत्थर के ऊपर
लगातार
पानी का कोई
झरना गिरता है..
KUCHH KAHNE KE LAYAK NAHIN CHHODA!
MAIN SAMAJHTA THA DUNIYA MEIN AKELA HOON PATHARON PAR BARSTA GIRTA .. YOU TOO!! TUM TO ABHI JAWAN HO YAR ..HA!HA!HA!
Tusi jdon ve kush likhde ho hmesha hi aam ton khas ban janda ha.
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