Monday, August 17, 2009
कुछ नहीं होगा / अमरजीत कौंके
सब कुछ होगा
तुम्हारे पास
एक मेरे पास होने के
अहसास के बिना
सब कुछ होगा
मेरे पास
तुम्हारी मोहब्बत भरी
एक नज़र के सिवाय
ढँक लेंगे हम
पदार्थ से
अपना आप
एक सिरे से
दुसरे सिरे तक
लेकिन
कभी
महसूस कर के देखना
कि सब कुछ
होने के बावजूद भी
कुछ नहीं होगा
हमारे पास
अपने उन
मासूम दिनों की
मोहब्बत जैसा
जब
मेरे पास
कुछ नहीं था
जब
तुम्हारे पास
कुछ नहीं था.........
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
-
जितनी देर दोस्त थे कितनी सहज थी जिन्दगी ना तुम औरत थी ना मै मर्द एक दुसरे का दर्द समझने की कोशिश करते..... अचानक पता नहीं क्या हादिसा हुआ ज...
-
तमन्ना थी उसकी कि इक नेम प्लेट हो अपनी जिस पर लिखे हों हम दोनों के नाम मैंने कहा- नेम प्लेट के लिए एक दीवार चाहिए दीवार के लिए घर घर के लिए ...
7 comments:
लेकिन कभी महसूस करके देखना की सब कुछ होने के बावजूद भी कुछ नहीं होगा हमारे पास उन मासूम दिनों की मुहब्बत जैसा ....जब मेरे पास कुछ नहीं था ..जब तुम्हारे पास कुछ नहीं था ....
बीते दिनों की खुशबू आ रही है ...
Mahobbat ki kami zingagi bhar mahsoos hoti hai...
ऐसी तड़पा देने वाली फीलिंग्स
कहाँ से लाते हैं आप......
दर्द भी कितना खुबसूरत होता है आपकी कविताएँ
पढ़ कर पता चला.....शैली चंडीगढ़
tere naal gujare din,sajna kon visare din,khab jgaye raata ne,jitiya raata,hare din,apne saath da ek din de de,le le mere sare din.....boht khoobsurat kavita....kuchh nahi hoga hmare pass unmasoom dino ki mohabbat jaisa.....yadein hongee na......
लेकिन
कभी
महसूस कर के देखना
कि सब कुछ
होने के बावजूद भी
कुछ नहीं होगा
हमारे पास
अपने उन
मासूम दिनों की
मोहब्बत जैसा
kya najuk khyaal hai apake ..........padhake achchha laga
लेकिन
कभी
महसूस कर के देखना
कि सब कुछ
होने के बावजूद भी
कुछ नहीं होगा
हमारे पास
अपने उन
मासूम दिनों की
मोहब्बत जैसा
kya najuk khyaal hai apake ..........padhake achchha laga
when this poem rea
i fell something relly
Post a Comment