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सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ अभी शेष है अब भी मुठ्ठी भर रौशनी इस तमाम अँधेरे के खिलाफ खेतों में अभी भी लहलहाती हैं फसलें पृथ्वी की कोख तैयार है अब ...
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जितनी देर दोस्त थे कितनी सहज थी जिन्दगी ना तुम औरत थी ना मै मर्द एक दुसरे का दर्द समझने की कोशिश करते..... अचानक पता नहीं क्या हादिसा हुआ ज...
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तमन्ना थी उसकी कि इक नेम प्लेट हो अपनी जिस पर लिखे हों हम दोनों के नाम मैंने कहा- नेम प्लेट के लिए एक दीवार चाहिए दीवार के लिए घर घर के लिए ...
9 comments:
अमरजीत जी....आपकी कविता गलती एक मोहब्बत
से भरे दिल के मर्म को बहत ही खूबसूरती से बयाँ
करती है....ऐसे अहसास कहाँ से लाते हैं आप.....
bahut hi gahre bhav.
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
ब्लॉग पर आने के लिए आपका सब का
स्वागत और थैंक्स......डॉ.अमरजीत कौंके
ek ek shabd mein gehrai hai..kya khoob likha hai..
Amarjeet ji....... namaskar....... main apka bahut hi shukrguzaar hoon ki aap mere blog pe aaye....... aur apne amulya comment se nawaaza.......
bahut bahut shukriya......
Ummeed karta hoon.......ki....... aage bhi aise hi hausla afzaai karte rahenge........
ThanX once again........
Regards
Mahfooz
A mind touching poem.
please visit my blog;
gurindersinghkalsi
थोड़े शब्दों में जो कहना था कह दिया है , सुन्दर |
आपने ब्लॉग के बारे में लिखा है कि सब कुछ बदलता पाया पर कविता का दामन नहीं बदलता है , कविता से मुलाकात तो ऐसे है जैसे कोई खुद से मिल आता है , निश्चिन्तता के साथ गले लगाती है ये |मन का सारा गुबार ये ले लेती है , सबसे सगी यही तो हुई |
मेरे ब्लॉग पर भावों का बहता दरिया वाली टिप्पणी के लिए धन्यवाद , ऐसी टिप्पणी तो फनकार ही दे सकता है |
amarjit ji
this peom touch my heart realy
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